3 अप्रैल 2025 को संसद के उच्च सदन राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को बहुमत से पारित कर दिया गया। यह विधेयक पहले ही लोकसभा में पास हो चुका था और अब राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद यह कानून बन जाएगा। इस बिल का उद्देश्य देशभर में फैली वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाना है।
इस विधेयक के तहत वक्फ बोर्ड की शक्तियों में बदलाव किया गया है और कई नए नियम जोड़े गए हैं, जिससे वक्फ संपत्ति के दुरुपयोग को रोका जा सके। सरकार का दावा है कि इस बिल से वक्फ बोर्ड को भ्रष्टाचार से मुक्त किया जा सकेगा और देश के अल्पसंख्यक समुदाय को लाभ मिलेगा।
हालांकि विपक्षी दलों ने इस बिल का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने कहा कि सरकार बिना व्यापक चर्चा के यह कानून बना रही है, जिससे समुदायों के बीच अविश्वास बढ़ सकता है। कई विपक्षी सांसदों ने मांग की कि इस विधेयक को संसदीय समिति के पास भेजा जाए, ताकि उसमें सभी हितधारकों की राय ली जा सके।
मुस्लिम संगठनों ने भी इस बिल को लेकर चिंता जताई है। उनका कहना है कि इस कानून से वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता पर असर पड़ेगा और सरकार की सीधी दखलंदाजी बढ़ेगी। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद जैसे संगठनों ने इसे मुस्लिम समाज के अधिकारों में कटौती करार दिया है।
सरकार ने इन चिंताओं को खारिज करते हुए कहा कि यह बिल किसी भी धर्म या समुदाय के खिलाफ नहीं है, बल्कि इसका मकसद सिर्फ वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता बढ़ाना है।
राज्यसभा में इस विधेयक के पक्ष में 128 वोट पड़े जबकि विरोध में 95 वोट डाले गए। 14 घंटे की लंबी बहस के बाद बिल को पास कर दिया गया, जिससे यह 2025 का एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम बन गया है।
निष्कर्ष:
वक्फ संशोधन विधेयक 2025 एक संवेदनशील और व्यापक प्रभाव वाला कानून है, जिसे लेकर राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर बहस जारी है। आने वाले समय में यह देखा जाएगा कि इसका मुस्लिम समाज और वक्फ बोर्डों पर क्या असर पड़ता है।