भारत ने सिंधु नदी पर पानी रोका तो जवाब देंगे पूरी ताकत से – पाक पीएम शहबाज शरीफ की सेना प्रमुख के सामने गीदड़भभकी

पानी पर राजनीति: सिंधु नदी पर भारत को धमकी देने लगे पाकिस्तान के पीएम

पाकिस्तान एक बार फिर वही कर रहा है जो वह दशकों से करता आया है — गीदड़भभकी। ताज़ा बयान में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत को लेकर विवादास्पद टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि “अगर भारत ने सिंधु नदी का पानी रोका, तो पाकिस्तान अपनी पूरी ताकत से जवाब देगा।

ये बयान उन्होंने किसी आम सभा में नहीं, बल्कि सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर की मौजूदगी में दिया। इस धमकी ने दोनों देशों के बीच फिर से तनाव की लहर दौड़ा दी है।


क्या है सिंधु जल संधि?

1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) साइन हुई थी, जिसे विश्व बैंक ने मिडिएट किया था। इसके तहत भारत को तीन पूर्वी नदियों (रावी, व्यास और सतलुज) का पानी इस्तेमाल करने की छूट मिली, जबकि पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम और चेनाब) का हक मिला।

लेकिन हाल के वर्षों में भारत इस समझौते की समीक्षा कर रहा है, खासकर पुलवामा हमले के बाद से।


पाकिस्तान की चिंता: भारत के डैम प्रोजेक्ट्स

भारत ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में सिंधु नदी पर कई जल विद्युत परियोजनाओं की घोषणा की है। इससे पाकिस्तान बौखलाया हुआ है और अब इसे ‘पानी की जंग’ के रूप में पेश कर रहा है।

शहबाज शरीफ ने कहा:

“अगर भारत ने पानी रोकने की कोशिश की, तो यह हमारी संप्रभुता पर हमला होगा और पाकिस्तान इसका जवाब पूरी ताकत से देगा।”


🇮🇳 भारत की प्रतिक्रिया: संयम के साथ ताकत

India vs Pakistan water issue

भारत की ओर से आधिकारिक प्रतिक्रिया अभी नहीं आई है, लेकिन विदेश मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने कहा है कि भारत जल संधि का पालन कर रहा है, लेकिन पाकिस्तान को बार-बार की गई उकसावे वाली हरकतें बंद करनी चाहिए।


जनता का सवाल: कब तक झेलेगा भारत पाकिस्तान की गीदड़भभकियाँ?

आम जनता में सवाल उठ रहा है — क्या पाकिस्तान हर बार गीदड़भभकी देकर भारत को ब्लैकमेल करता रहेगा? अब वक्त आ गया है कि भारत न सिर्फ अपने अधिकारों की रक्षा करे बल्कि कूटनीतिक रूप से इस मुद्दे को वैश्विक मंच पर उठाए।


🔚 निष्कर्ष

शहबाज शरीफ का बयान कोई नई बात नहीं, लेकिन यह ज़रूर दिखाता है कि पाकिस्तान अपनी असफलताओं को छुपाने के लिए भारत-विरोधी माहौल बनाता है। भारत को चाहिए कि वह संयम के साथ अपने हितों की रक्षा करे — और जब ज़रूरत हो, तो जवाब ज़रूर दे।

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