OPERATION SINDOOR पर सियासी भूचाल: सेना की कार्रवाई पर राजनीतिक पार्टियों की तीखी बयानबाज़ी शुरू

प्रस्तावना: ऑपरेशन से लेकर संसद तक छिड़ा संग्राम

भारत की सेना द्वारा आतंकियों के ठिकानों पर की गई एयरस्ट्राइक — ‘Operation Sindoor’ — ने न सिर्फ सीमापार हलचल मचाई है, बल्कि भारतीय राजनीति में भी जबरदस्त हलचल ला दी है। एक ओर जहां सरकार इस ऑपरेशन को ‘नई भारत की नई नीति’ बता रही है, वहीं विपक्ष इसे ‘राजनीतिक स्टंट’ कह रहा है।

इस पूरे घटनाक्रम ने आगामी चुनावों से पहले राष्ट्रवाद बनाम सवालों की राजनीति को एक बार फिर गर्मा दिया है।

Operation-Sindoor


सत्तारूढ़ पार्टी (भाजपा): “ये नया भारत है, अब घर में घुसकर मारते हैं”

भारतीय जनता पार्टी ने इस ऑपरेशन को एक ऐतिहासिक उपलब्धि करार दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक जनसभा में कहा:

हम चुप नहीं बैठेंगे। आतंक की हर चाल का जवाब अब चुपचाप नहीं, बल्कि तगड़े वार से मिलेगा। ये नया भारत है — माफ नहीं करेगा।

गृह मंत्री अमित शाह ने भी ट्वीट किया:

“सेना को सलाम। Operation Sindoor इस बात का प्रमाण है कि भारत अब निर्णायक फैसले लेने से नहीं हिचकता।”

बीजेपी ने अपने आधिकारिक हैंडल से #OperationSindoor और #IndiaStrikesBack जैसे हैशटैग्स के साथ पोस्ट किए, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी के भाषणों की क्लिप और सेना की ताकत दिखाई गई।


विपक्षी दलों का रुख: “देश के नाम पर राजनीति बंद करें”

कांग्रेस:

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा:

“हमें सेना की वीरता पर गर्व है। लेकिन भाजपा को यह समझना चाहिए कि राष्ट्रीय सुरक्षा कोई चुनावी मुद्दा नहीं है। यह देश का मामला है, न कि किसी पार्टी का।”

आम आदमी पार्टी (AAP):

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी सेना की तारीफ की, लेकिन बीजेपी पर तंज कसते हुए बोले:

“सेना ने अपना काम किया, अब बीजेपी उसे पोस्टर में मत चिपकाए।”

टीएमसी (ममता बनर्जी):

ममता बनर्जी ने सवाल उठाया कि सरकार इस ऑपरेशन से जुड़ी पूरा ब्यौरा सार्वजनिक क्यों नहीं कर रही। उन्होंने केंद्र सरकार पर “सेना की शहादत का राजनीतिक लाभ” उठाने का आरोप लगाया।


चुनावी एजेंडे में राष्ट्रवाद सबसे ऊपर

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि Operation Sindoor भाजपा के लिए एक बड़ा नैरेटिव सेट करता है, खासकर जब लोकसभा चुनाव नजदीक हैं।
राष्ट्रवाद, सेना का सम्मान, और सुरक्षा जैसे मुद्दों को भाजपा मजबूती से भुनाना चाहती है, जबकि विपक्ष इसको ‘इवेंट-बेस्ड नेशनलिज्म’ कहकर काटने की कोशिश कर रहा है।

प्रो. शेखर सेन, एक वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक के अनुसार:

“बीजेपी अब इस ऑपरेशन को चुनावी सभाओं में भरपूर प्रयोग करेगी। इसके जवाब में विपक्ष को एक ठोस, एकजुट नैरेटिव गढ़ना होगा। वरना 2019 की तरह एक बार फिर राष्ट्रवाद भारी पड़ सकता है।”


 संसद में हंगामा तय!

‘Operation Sindoor’ की वजह से संसद के आगामी सत्र में जबरदस्त बहस होने की संभावना है। विपक्ष मांग कर सकता है कि सरकार इस ऑपरेशन की पारदर्शिता, लक्ष्य, और परिणामों पर विस्तृत जानकारी दे।

कई दलों का यह भी मानना है कि अगर पाकिस्तान जवाबी कार्रवाई करता है, तो सरकार को पहले से रणनीति साझा करनी चाहिए।


अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सरकार की छवि मज़बूत

भले ही देश में राजनीति गर्म हो, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की इस कार्रवाई को लेकर काफी सकारात्मक माहौल बन रहा है। अमेरिका, फ्रांस, और जापान जैसे देशों ने भारत के आत्मरक्षा के अधिकार को मान्यता दी है। इससे मोदी सरकार को विदेश नीति के मोर्चे पर भी बड़ी कामयाबी मिल सकती है।

युद्ध नहीं, लेकिन युद्ध जैसे माहौल में राजनीति

Operation Sindoor के जरिए भारत ने आतंकी ताकतों को करारा जवाब दिया है। लेकिन इससे देश में राजनीतिक वाद-विवाद भी अपने चरम पर है।
सवाल ये है —
👉 क्या हम सेना की वीरता को एकजुट होकर सराह पाएंगे?
या
👉 एक बार फिर राष्ट्रवाद बनाम सवाल की राजनीति में बंट जाएंगे?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *