भारतमाला प्रोजेक्ट में रुकावट मुजफ्फरपुर में मनिकपुर-साहेबगंज फोरलेन निर्माण पर संकट

दिनांक: 03 सितंबर 2025

भारतमाला प्रोजेक्ट में रुकावट: मुजफ्फरपुर में मनिकपुर-साहेबगंज फोरलेन

भारतमाला परियोजना भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है जिसका उद्देश्य देश के सड़क नेटवर्क को मजबूत करना और आर्थिक विकास को गति देना है। इस परियोजना के तहत देशभर में हाईवे और सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। हालांकि यह परियोजना कई क्षेत्रों में सुचारू रूप से चल रही है लेकिन कुछ स्थानों पर इसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा ही एक मामला बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में देखने को मिला है जहां मनिकपुर-साहेबगंज फोरलेन सड़क निर्माण कार्य को स्थानीय लोगों ने मुआवजे की मांग को लेकर रोक दिया है। इस घटना ने न केवल परियोजना की प्रगति को प्रभावित किया है बल्कि स्थानीय प्रशासन और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के सामने एक बड़ी चुनौती भी खड़ी कर दी है।

परियोजना का महत्व और उद्देश्य

भारतमाला परियोजना का लक्ष्य देश के विभिन्न हिस्सों को बेहतर सड़क संपर्क के माध्यम से जोड़ना है। इस परियोजना के तहत 26000 किलोमीटर से अधिक लंबाई के आर्थिक गलियारों का निर्माण किया जा रहा है जिससे स्वर्णिम चतुर्भुज और उत्तर-दक्षिण तथा पूर्व-पश्चिम गलियारों के साथ राजमार्गों पर 80 प्रतिशत से अधिक ट्रैफिक को संभाला जा सके। मनिकपुर-साहेबगंज फोरलेन सड़क भी इसी परियोजना का हिस्सा है जो मुजफ्फरपुर और इसके आसपास के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यह सड़क न केवल स्थानीय लोगों के लिए आवागमन को सुगम बनाएगी बल्कि उत्तर बिहार के आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देगी।

इस सड़क का निर्माण क्षेत्र के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है। यह न केवल मुजफ्फरपुर को अन्य प्रमुख शहरों से जोड़ेगी बल्कि व्यापार और पर्यटन को भी प्रोत्साहन देगी। इसके अलावा यह परियोजना स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा कर सकती है। हालांकि मुआवजे को लेकर उत्पन्न विवाद ने इस महत्वपूर्ण परियोजना को अटका दिया है जिससे इसके समय पर पूरा होने पर सवाल उठ रहे हैं।

मुआवजे को लेकर विवाद

मुजफ्फरपुर में मनिकपुर-साहेबगंज फोरलेन सड़क के निर्माण के लिए आवश्यक जमीन का अधिग्रहण पहले ही पूरा हो चुका है। एनएचएआई ने भू-अर्जन विभाग को मुआवजे की राशि भी हस्तांतरित कर दी है। इसके बावजूद स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्हें उनकी जमीन के लिए उचित मुआवजा अभी तक नहीं मिला है। करीब 500 स्थानीय निवासियों ने निर्माण कार्य को रोक दिया है और मांग की है कि जब तक मुआवजे का भुगतान नहीं हो जाता तब तक वे निर्माण कार्य शुरू नहीं होने देंगे।

स्थानीय लोगों का यह विरोध उस समय शुरू हुआ जब निर्माण एजेंसी ने कार्यस्थल पर साफ-सफाई और मशीनों की तैनाती शुरू की। विरोध के दौरान सैकड़ों लोगों ने एकजुट होकर अपनी मांगें रखीं और स्पष्ट किया कि बिना मुआवजे के वे किसी भी निर्माण गतिविधि को आगे बढ़ने नहीं देंगे। इस घटना ने न केवल परियोजना को प्रभावित किया है बल्कि स्थानीय प्रशासन के सामने एक जटिल स्थिति पैदा कर दी है।

एनएचएआई और प्रशासन की प्रतिक्रिया

एनएचएआई के परियोजना निदेशक राजू कुमार ने इस मामले में जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) से हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि मुआवजे की राशि भू-अर्जन विभाग को पहले ही दी जा चुकी है और गजट भी प्रकाशित हो चुका है। इसके बावजूद भुगतान में देरी के कारण स्थानीय लोगों का गुस्सा बढ़ रहा है। परियोजना निदेशक ने चेतावनी दी है कि यदि मुआवजे का भुगतान जल्द नहीं किया गया तो इस परियोजना को समय पर पूरा करना मुश्किल हो जाएगा।

स्थानीय प्रशासन इस मामले को सुलझाने के लिए प्रयासरत है। डीएम को इस मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई करने के लिए कहा गया है ताकि मुआवजे का भुगतान रैयतों तक पहुंच सके और निर्माण कार्य फिर से शुरू हो सके। प्रशासन ने यह भी आश्वासन दिया है कि वह स्थानीय लोगों की शिकायतों को गंभीरता से ले रहा है और इस मामले में पारदर्शिता बरती जाएगी।

भारतमाला परियोजना की व्यापक चुनौतियां

मुजफ्फरपुर का यह मामला भारतमाला परियोजना के सामने आने वाली व्यापक चुनौतियों का एक उदाहरण है। देश के विभिन्न हिस्सों में इस परियोजना को जमीन अधिग्रहण और मुआवजे से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उदाहरण के लिए राजस्थान में जैसलमेर-सुंदरा सड़क परियोजना को भी डेजर्ट नेशनल पार्क के सख्त नियमों के कारण कई सालों तक रुकावटों का सामना करना पड़ा था। वहां भी स्थानीय लोगों और पर्यावरण नियमों के बीच संतुलन बनाने में काफी समय लगा।

भारतमाला परियोजना का लक्ष्य न केवल सड़कों का निर्माण करना है बल्कि यह सुनिश्चित करना भी है कि यह निर्माण पर्यावरण और स्थानीय समुदायों को नुकसान पहुंचाए बिना हो। मुजफ्फरपुर में उत्पन्न स्थिति इस बात को रेखांकित करती है कि परियोजना की सफलता के लिए स्थानीय लोगों का सहयोग और उनकी शिकायतों का समय पर समाधान कितना महत्वपूर्ण है।

मुआवजा नीति और पारदर्शिता

भारत सरकार ने भूमि अधिग्रहण में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम 2013 के तहत कई प्रावधान किए हैं। इस अधिनियम के तहत यह सुनिश्चित किया जाता है कि जमीन अधिग्रहण के बदले किसानों और रैयतों को उचित मुआवजा और पुनर्वास सुविधाएं प्रदान की जाएं। हालांकि कई मामलों में मुआवजे का भुगतान समय पर नहीं हो पाता जिसके कारण स्थानीय लोगों में असंतोष बढ़ता है।

मुजफ्फरपुर के मामले में भी यही समस्या देखने को मिल रही है। एनएचएआई का दावा है कि उसने मुआवजे की राशि भू-अर्जन विभाग को दे दी है लेकिन यह राशि रैयतों तक नहीं पहुंची है। इस स्थिति ने न केवल परियोजना को प्रभावित किया है बल्कि स्थानीय लोगों के बीच सरकार और प्रशासन के प्रति अविश्वास को भी बढ़ाया है।

स्थानीय लोगों की मांगें और समाधान की दिशा

स्थानीय लोगों की मांग साफ है कि उन्हें उनकी जमीन के लिए उचित और समय पर मुआवजा मिले। उनका कहना है कि जमीन उनके जीवन का आधार है और बिना उचित मुआवजे के वे इसे छोड़ने को तैयार नहीं हैं। इस स्थिति में प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह मुआवजे के भुगतान की प्रक्रिया को तेज करे और यह सुनिश्चित करे कि यह राशि पारदर्शी तरीके से रैयतों तक पहुंचे।

इसके लिए प्रशासन को स्थानीय लोगों के साथ संवाद स्थापित करना होगा और उनकी शिकायतों को सुनना होगा। एक विशेष समिति का गठन किया जा सकता है जो मुआवजे के भुगतान की प्रक्रिया की निगरानी करे और यह सुनिश्चित करे कि कोई भी रैयत इससे वंचित न रहे। इसके साथ ही एनएचएआई को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो और मुआवजे का भुगतान निर्माण कार्य शुरू होने से पहले ही पूरा हो जाए।

परियोजना पर प्रभाव और भविष्य की संभावनाएं

मुआवजे को लेकर उत्पन्न विवाद के कारण मनिकपुर-साहेबगंज फोरलेन सड़क का निर्माण कार्य पूरी तरह ठप हो गया है। परियोजना निदेशक का कहना है कि यदि यह स्थिति जल्द नहीं सुधरी तो परियोजना में देरी होना तय है। यह देरी न केवल परियोजना की लागत को बढ़ाएगी बल्कि क्षेत्र के आर्थिक विकास को भी प्रभावित करेगी।

हालांकि इस स्थिति से निपटने के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं। पहला यह कि प्रशासन और एनएचएआई को मिलकर मुआवजे के भुगतान की प्रक्रिया को तेज करना होगा। दूसरा यह कि स्थानीय लोगों को परियोजना के लाभों के बारे में जागरूक किया जाए ताकि वे इसमें सहयोग करें। तीसरा यह कि भविष्य में ऐसी समस्याओं से बचने के लिए एक मजबूत तंत्र विकसित किया जाए जो जमीन अधिग्रहण और मुआवजे की प्रक्रिया को पारदर्शी और समयबद्ध बनाए।

मुजफ्फरपुर में मनिकपुर-साहेबगंज फोरलेन निर्माण

भारतमाला परियोजना देश के सड़क नेटवर्क को मजबूत करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि मुजफ्फरपुर में मनिकपुर-साहेबगंज फोरलेन सड़क निर्माण को लेकर उत्पन्न मुआवजा विवाद ने इस परियोजना की प्रगति को बाधित किया है। यह स्थिति न केवल परियोजना की समयसीमा को प्रभावित कर रही है बल्कि स्थानीय लोगों और प्रशासन के बीच विश्वास की कमी को भी उजागर कर रही है।

इस समस्या का समाधान तभी संभव है जब प्रशासन और एनएचएआई मिलकर स्थानीय लोगों की शिकायतों को गंभीरता से लें और मुआवजे के भुगतान की प्रक्रिया को तेज करें। साथ ही भविष्य में ऐसी समस्याओं से बचने के लिए एक पारदर्शी और समयबद्ध तंत्र विकसित करना होगा। यदि इन कदमों को समय पर उठाया गया तो न केवल यह परियोजना समय पर पूरी हो सकेगी बल्कि स्थानीय लोगों का विश्वास भी जीता जा सकेगा।

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