बिहार की राजनीति और चुनावी व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। ताज़ा मामले में मुज़फ्फरपुर समेत कई जिलों में वोटर लिस्ट (मतदाता सूची) में गंभीर गड़बड़ी पाई गई है। चौंकाने वाली बात यह है कि कई ज़िंदा लोगों को चुनाव आयोग की सूची में “मृत” या “लापता” दिखा दिया गया है। इससे आम नागरिकों में नाराज़गी और चिंता बढ़ गई है।
ज़िंदा लोगों के नाम के आगे “मृत” का ठप्पा
मुज़फ्फरपुर शहर के काजी मोहल्ला निवासी शिवनंद झा ने बताया कि वे हर चुनाव में मतदान करते रहे हैं। जब हाल ही में उन्होंने नई मतदाता सूची की जाँच की तो पाया कि उनके नाम के आगे “मृत” लिख दिया गया है।
उन्होंने कहा – “मैं पूरी तरह स्वस्थ हूँ और यहाँ मौजूद हूँ। यह चुनाव आयोग की लापरवाही है। अगर समय रहते सुधार नहीं हुआ तो मैं अपने मतदान के अधिकार से वंचित रह जाऊँगा।”
ऐसा ही मामला सीतामढ़ी, समस्तीपुर और दरभंगा से भी सामने आया है। वहाँ भी कई जीवित नागरिकों को मृत या लापता दिखा दिया गया है।
वोटर लिस्ट में गड़बड़ी कैसे हुई?
चुनाव आयोग के अधिकारियों का कहना है कि यह गड़बड़ी डेटा अपडेट और फील्ड वेरिफिकेशन के दौरान हुई है। कई जगहों पर बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) ने सही तरीके से जाँच नहीं की और पुराने रिकॉर्ड के आधार पर नाम काट दिए।
इस प्रक्रिया में कुछ लोगों को मृत, लापता या डुप्लीकेट प्रविष्टि मानकर सूची से हटा दिया गया।
जनता में आक्रोश
लोगों का कहना है कि यह सिर्फ़ लापरवाही नहीं बल्कि लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है।
मुज़फ्फरपुर के एक कॉलेज प्रोफेसर रमेश कुमार ने कहा – “मैंने अब तक हर चुनाव में वोट दिया है। इस बार अगर मेरा नाम सूची से गायब हुआ या मृत दिखाया गया तो यह मेरे संवैधानिक अधिकार पर चोट होगी। आयोग को जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।”
राजनीतिक दलों ने उठाए सवाल
वोटर लिस्ट की गड़बड़ी को लेकर विपक्षी दलों ने राज्य सरकार और चुनाव आयोग पर सवाल उठाए हैं। RJD नेताओं ने कहा कि यह जानबूझकर किया जा रहा है ताकि विपक्षी मतदाता मतदान से वंचित हो जाएँ।
वहीं, NDA नेताओं का कहना है कि यह पूरी तरह से प्रशासनिक लापरवाही है और चुनाव आयोग को तुरंत इसकी जाँच करनी चाहिए।
चुनाव आयोग की सफाई
राज्य चुनाव आयोग ने इस पूरे मामले पर सफाई देते हुए कहा है कि यह “मानवीय भूल” है। आयोग ने दावा किया कि सभी जिलों में स्पेशल डोर-टू-डोर वेरिफिकेशन अभियान चलाया जाएगा।
आयोग ने जनता से अपील की है कि जिनका नाम गलत दर्ज हुआ है वे तत्काल आवेदन करें और अपने दस्तावेज़ जमा करें ताकि नाम सही किया जा सके।
सुधार प्रक्रिया क्या है?
यदि किसी मतदाता को मृत या लापता दिखा दिया गया है, तो वह व्यक्ति फॉर्म-8 भरकर स्थानीय निर्वाचन कार्यालय या BLO के पास आवेदन कर सकता है।
इस प्रक्रिया में आधार कार्ड, वोटर कार्ड, राशन कार्ड या अन्य पहचान पत्र की कॉपी जमा करनी होती है। सत्यापन के बाद नाम को फिर से मतदाता सूची में जोड़ा जा सकता है।
लोकतंत्र पर सवाल
चुनाव विशेषज्ञों का कहना है कि मतदाता सूची में ऐसी गड़बड़ी बेहद गंभीर है। लोकतंत्र की नींव “मताधिकार” पर टिकी है। यदि नागरिकों को ही उनके अधिकार से वंचित कर दिया जाए तो यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए बड़ा खतरा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि चुनाव आयोग को डिजिटल तकनीक और सटीक डेटा मैनेजमेंट पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिए।
सोशल मीडिया पर गुस्सा
यह मामला सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बन गया है। ट्विटर (X) और फेसबुक पर लोग स्क्रीनशॉट शेयर कर रहे हैं जिसमें उनके नाम के आगे “मृत” लिखा हुआ है।
लोगों ने आयोग को टैग कर कार्रवाई की माँग की है।
आने वाले चुनावों पर असर
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि अगर वोटर लिस्ट की गड़बड़ी समय पर नहीं सुधारी गई तो आने वाले चुनावों में बड़ी संख्या में मतदाता वोट डालने से वंचित हो सकते हैं।
इसका सीधा असर चुनावी परिणामों पर पड़ेगा और राजनीतिक विवाद गहराएगा।
मुज़फ्फरपुर
मुज़फ्फरपुर समेत बिहार के कई जिलों में सामने आई यह गड़बड़ी लोकतंत्र के लिए चेतावनी है। जनता चाहती है कि चुनाव आयोग तुरंत इस समस्या का समाधान करे।
लोकतांत्रिक व्यवस्था को मज़बूत बनाए रखने के लिए ज़रूरी है कि हर नागरिक का नाम सही-सलामत वोटर लिस्ट में मौजूद हो और उसे अपने संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल करने का अवसर मिले।
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