Durga Puja 2025 तारीख, शुभ मुहूर्त, आरती, क्या खाएँ और क्या न खाएँ पूरी जानकारी

Durga Puja 2025

🪔 दुर्गा पूजा 2025 परिचय

दुर्गा पूजा भारत का सबसे बड़ा और पवित्र त्योहार है
यह त्योहार शक्ति और भक्ति का अद्भुत संगम माना जाता है
2025 में दुर्गा पूजा का इंतजार भक्तों को बेसब्री से है
नवरात्रि के बाद यह महोत्सव खास रूप से मनाया जाता है
बंगाल असम बिहार और झारखंड में इसकी धूम सबसे ज्यादा होती है
माँ दुर्गा की भव्य प्रतिमाएँ पंडालों में सजाई जाती हैं
हर जगह रोशनी और सजावट का अनोखा नजारा देखने को मिलता है
दुर्गा पूजा अच्छाई पर बुराई की विजय का प्रतीक है
महिषासुर मर्दिनी के रूप में माँ दुर्गा की पूजा होती है
भक्त सुबह और शाम आरती कर माता को प्रसन्न करते हैं
माँ दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए खास व्रत और अनुष्ठान किए जाते हैं
पूरे देश में दुर्गा पूजा को एक उत्सव की तरह मनाया जाता है
इस दौरान लोग घर और पंडालों को रंग-बिरंगी लाइटों से सजाते हैं
नवमी और दशमी के दिन पूजा का महत्व और बढ़ जाता है
विजयादशमी पर माँ की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है
लोग इस दिन एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देते हैं
माँ दुर्गा की पूजा से घर में सुख और समृद्धि आती है
भक्त माता से शक्ति और साहस की कामना करते हैं
दुर्गा पूजा समाज में एकता और भाईचारे का संदेश देती है
यह पर्व हमें बुराई से लड़ने और अच्छाई का मार्ग अपनाने की प्रेरणा देता है

नवरात्रि 2025 की तिथियाँ

शरद नवरात्रि 2025 की शुरुआत 22 सितंबर 2025 (सोमवार) को होगी, जो प्रतिपदा तिथि है। 
नवरात्रि 1 अक्टूबर 2025 (बुधवार) को समाप्त होगी।

दिन-वार तिथियों का क्रम इस प्रकार होगा:

दिन संख्यातिथितिथि नाम (हिंदू कैलेंडर)
दिन 122 सितंबरप्रतिपदा / घटस्थापना
दिन 223 सितंबरद्वितीया
दिन 324 सितंबरतृतीया
दिन 425 सितंबरचतुर्थी
दिन 526 सितंबरपंचमी
दिन 627 सितंबरषष्ठी
दिन 728 सितंबरसप्तमी
दिन 829 सितंबरअष्टमी
दिन 930 सितंबरनवमी
(कुछ स्रोत नवरात्रि को 10 दिनों तक भी गिनते हैं)1 अक्टूबरसमापन / परणा तिथि

ध्यान दें कि कुछ स्रोत नवरात्रि को 10 दिन मानते हैं, जिसमें विजयादशमी (दशहरा) को भी शामिल किया जाता है।


✅ दुर्गा पूजा 2025 की तिथियाँ

दुर्गा पूजा का मुख्य समारोह आमतौर पर महा षष्ठी से शुरू होता है और विजयादशमी तक चलता है। इस आधार पर

  • मुख्य पूजा का आरंभ 28 सितंबर 2025 को होगा

  • समापन 2 अक्टूबर 2025 को विजयादशमी के साथ होगा

इस साल 30 सितंबर को महाअष्टमी पड़ेगी। यह दिन इस पर्व का सबसे खास दिन होता है। इस दिन भक्त माँ दुर्गा की विशेष पूजा करते हैं। इसके अगले दिन यानी 2 अक्टूबर को विजयादशमी का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन माँ दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन होता है।


 

शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

 

दुर्गा पूजा में सही समय पर पूजा करना बहुत जरूरी माना जाता है। शुभ मुहूर्त में पूजा करने से माँ दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है।

 

दुर्गा पूजा का शुभ मुहूर्त 2025

 

पूजा की शुरुआत के लिए सुबह का समय सबसे अच्छा होता है। सुबह 6 बजे से 8 बजे के बीच पूजा करना सबसे शुभ माना जाता है। अगर आप सुबह पूजा नहीं कर पाते हैं तो शाम 5 बजे से 7 बजे के बीच आरती और पूजा कर सकते हैं।

 

आरती का सही समय

 

सुबह की आरती आप पूजा के तुरंत बाद कर सकते हैं। यह लगभग सुबह 7 बजे के आसपास होती है। शाम की आरती का समय सूर्यास्त के बाद होता है। यह आमतौर पर शाम 6 बजे से 7 बजे के बीच होता है। आरती के समय दीपक और अगरबत्ती जलाना बहुत जरूरी होता है। दीपक से सकारात्मक ऊर्जा आती है।

 

आरती कैसे करें

 

आरती करना बहुत सरल है। आप “जय अम्बे गौरी” जैसी आरती कर सकते हैं। आप एक थाली में दीपक अगरबत्ती फूल और प्रसाद रखें। दीपक जलाएं और धीरे-धीरे आरती गाते हुए माँ दुर्गा की प्रतिमा के सामने घुमाएं। यह एक सरल तरीका है जिससे आप घर पर ही पूरी श्रद्धा के साथ आरती कर सकते हैं।


 

माँ दुर्गा के मंत्र और पाठ

 

पूजा में मंत्रों का जाप करना और दुर्गा चालीसा का पाठ करना बहुत महत्वपूर्ण है। इससे मन शांत होता है और पूजा का फल मिलता है।

 

माँ दुर्गा के शक्तिशाली मंत्र

 

आप इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं:

  • ॐ दुं दुर्गायै नमः
  • या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
  • सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके शरण्ये त्रयंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते

यह मंत्र बहुत शक्तिशाली माने जाते हैं। इन्हें धीरे-धीरे और साफ उच्चारण के साथ बोलना चाहिए।

 

सप्तशती और दुर्गा चालीसा

 

दुर्गा सप्तशती का पाठ करना बहुत शुभ होता है। इसमें माँ दुर्गा की महिमा का वर्णन है। अगर आप पूरा पाठ नहीं कर सकते तो दुर्गा चालीसा का पाठ करें। दुर्गा चालीसा बहुत सरल है और इसे कोई भी पढ़ सकता है। इसे पढ़ने से मन को शांति मिलती है और सभी बाधाएं दूर होती हैं।


 

दुर्गा पूजा में खान-पान

 

दुर्गा पूजा के दौरान सात्विक भोजन का विशेष महत्व होता है। यह पूजा और व्रत की पवित्रता बनाए रखने के लिए जरूरी है।

 

क्या खाएं

 

व्रत के दौरान सिर्फ सात्विक भोजन ही खाना चाहिए।

  • फल केला सेब अंगूर
  • दूध और दूध से बनी चीजें दही पनीर
  • सूखा मेवा बादाम काजू किशमिश
  • खिचड़ी साबूदाने की खिचड़ी सिंघाड़े के आटे की पूड़ी
  • प्रसाद प्रसाद में खीर हलवा और मिठाई भी होती है

यह सभी चीजें पवित्र और शुद्ध मानी जाती हैं।

 

क्या न खाएं

 

दुर्गा पूजा के व्रत में कुछ चीजें पूरी तरह से वर्जित हैं।

  • मांसाहार मछली और मांस
  • प्याज और लहसुन
  • नशीली चीजें शराब और सिगरेट
  • अधिक तेल मसालेदार चीजें

व्रत के समय इन चीजों से परहेज करना जरूरी है।


 

दुर्गा जी के 9 नाम

 

नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा होती है। यह नौ रूप जीवन के अलग-अलग पहलुओं को दर्शाते हैं।

  1. शैलपुत्री
  2. ब्रह्मचारिणी
  3. चंद्रघंटा
  4. कूष्माण्डा
  5. स्कंदमाता
  6. कात्यायनी
  7. कालरात्रि
  8. महागौरी
  9. सिद्धिदात्री

इन नौ रूपों के अलावा माँ दुर्गा के कुछ और नाम भी हैं जैसे चामुंडा काली लक्ष्मी और सरस्वती। ये सभी नाम उनके अलग-अलग रूपों और शक्तियों को दर्शाते हैं। माँ दुर्गा बुराई का नाश करने वाली देवी हैं।


 

क्या करें और क्या न करें

 

दुर्गा पूजा के दौरान कुछ नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है। यह नियम हमारी जीवनशैली में सकारात्मकता लाते हैं।

 

करने योग्य कार्य

 

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
  • पूजा स्थल की साफ-सफाई करें और दीपक जलाएं।
  • देवी को लाल फूल और चुनरी चढ़ाएं। लाल रंग शुभ माना जाता है।
  • दिन में एक बार देवी माँ की पूजा करें

 

क्या न करें

 

  • झूठ न बोलें और किसी पर क्रोध न करें।
  • पूजा के समय मोबाइल या टीवी में व्यस्त न रहें। पूरा ध्यान पूजा पर लगाएं।
  • प्रसाद को व्यर्थ न करें। पूरा सम्मान करें।

 

दुर्गा पूजा का महत्व 2025

 

दुर्गा पूजा सिर्फ एक त्योहार नहीं है बल्कि यह हमारे जीवन में सकारात्मकता लाने का एक मौका है।

  • सकारात्मक ऊर्जा यह त्योहार घर और समाज में खुशियां लाता है।
  • सुख-समृद्धि माँ दुर्गा का आशीर्वाद सुख समृद्धि और शांति लाता है।
  • बुराई पर अच्छाई की जीत यह त्योहार हमें सिखाता है कि अंत में बुराई का नाश होता है और अच्छाई की जीत होती है।

2025 में दुर्गा पूजा का पर्व हमें एक बार फिर यह संदेश देगा कि हमें हमेशा सच्चाई और अच्छाई के रास्ते पर चलना चाहिए। यह एक ऐसा उत्सव है जो हमें परिवार और समाज को एक साथ लाता है और हमें प्रेम और सद्भाव से रहने की प्रेरणा देता है।

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