हरतालिका तीज 2025: सुहागिन महिलाओं का सबसे बड़ा व्रत, जानें पूरी पूजा विधि और महत्व

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हरतालिका तीज 2025: सुहागिन महिलाओं का सबसे पवित्र व्रत

भारत त्योहारों की भूमि है। यहां हर एक पर्व का अपना अलग महत्व होता है। इन्हीं पावन त्योहारों में से एक है हरतालिका तीज। इसे सुहागिन महिलाओं के लिए सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। यह व्रत विशेष रूप से पति की लंबी आयु और वैवाहिक जीवन की सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। हरतालिका तीज का पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2025 में यह पर्व पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ 28 अगस्त, गुरुवार को मनाया जाएगा।


हरतालिका तीज का महत्व

हरतालिका तीज व्रत का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत गहरा है। इसे सोलह श्रृंगार और अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। महिलाएं इस दिन उपवास रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करती हैं। मान्यता है कि माता पार्वती ने कठोर तपस्या करके भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था। उसी उपवास और तपस्या की याद में यह व्रत किया जाता है।

यह व्रत न केवल विवाहिता स्त्रियों के लिए बल्कि अविवाहित कन्याओं के लिए भी अत्यंत फलदायी माना जाता है। अविवाहित कन्याएं इसे अच्छे पति की कामना के लिए करती हैं, जबकि विवाहित महिलाएं अपने पति के दीर्घायु और दांपत्य सुख के लिए इसे रखती हैं।


हरतालिका तीज का पौराणिक कथा

हरतालिका तीज से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा है।
माता पार्वती का विवाह उनके पिता हिमवान ने भगवान विष्णु से करने का निश्चय किया था। लेकिन माता पार्वती का मन केवल भगवान शिव को पाने का था। विवाह से बचने के लिए उनकी सहेलियां उन्हें जंगल में ले गईं और वहीं उन्होंने कठोर तपस्या शुरू कर दी।

कई वर्षों तक कठिन तपस्या के बाद भगवान शिव माता पार्वती के समर्पण से प्रसन्न हुए और उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया। यह घटना भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया को हुई थी। तभी से यह व्रत हरतालिका तीज के रूप में मनाया जाने लगा।


हरतालिका तीज 2025 की तारीख और शुभ मुहूर्त

  • तिथि – 28 अगस्त 2025, गुरुवार

  • पूजा का समय – प्रातःकाल से रात्रि तक

  • निशा पूजन मुहूर्त – संध्या के समय शुभ माना जाता है।


व्रत की विधि

हरतालिका तीज का व्रत अत्यंत कठिन और नियमबद्ध माना जाता है। इसे निर्जला व्रत भी कहा जाता है, यानी इस दिन महिलाएं बिना भोजन और जल ग्रहण किए उपवास करती हैं। व्रत की विधि इस प्रकार है:

  1. सुबह स्नान और शुद्धिकरण के बाद महिलाएं व्रत का संकल्प लेती हैं।

  2. भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र को सजाकर पूजा स्थान पर स्थापित किया जाता है।

  3. महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और पीले या लाल रंग के वस्त्र पहनती हैं।

  4. पूजा में विशेष रूप से कुमकुम, चंदन, रोली, सुहाग सामग्री, फूल, फल, और बेलपत्र का प्रयोग होता है।

  5. व्रत कथा का पाठ किया जाता है और माता पार्वती की तपस्या का स्मरण किया जाता है।

  6. महिलाएं पूरी रात जागरण करती हैं और भजन-कीर्तन के माध्यम से पूजा करती हैं।

  7. व्रत का समापन अगले दिन पारण के साथ होता है।


हरतालिका तीज पर श्रृंगार का महत्व

इस व्रत में सोलह श्रृंगार का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि श्रृंगार करने से देवी पार्वती प्रसन्न होती हैं और महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं। श्रृंगार की वस्तुओं में बिंदी, चूड़ी, सिंदूर, पायल, बिछिया, बिंदी, काजल, बिंदी और मेहंदी प्रमुख हैं।

विशेष रूप से मेहंदी का इस दिन बहुत महत्व है। महिलाएं अपने हाथों और पैरों में सुंदर डिजाइन की मेहंदी रचाती हैं, जिसे सौभाग्य और प्रेम का प्रतीक माना जाता है।


हरतालिका तीज और समाज

यह पर्व केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी महिलाओं के लिए खास है। इस दिन महिलाएं अपनी सहेलियों और रिश्तेदारों के साथ मिलकर गीत-संगीत और झूला झूलने का आनंद लेती हैं। यह पर्व नारी शक्ति, आपसी सहयोग और प्रेम का भी प्रतीक है।


हरतालिका तीज 2025 का विशेष महत्व

हर साल हरतालिका तीज अलग-अलग तिथियों पर आती है। वर्ष 2025 में यह व्रत गुरुवार के दिन पड़ रहा है, जिसे विशेष रूप से गुरु का दिन माना जाता है। इस दिन व्रत करने से पति-पत्नी के जीवन में खुशहाली, समृद्धि और प्रेम बना रहता है। साथ ही, अविवाहित कन्याओं को उत्तम वर की प्राप्ति होती है।


हरतालिका तीज 2025

हरतालिका तीज का व्रत भारतीय संस्कृति और परंपरा का जीवंत उदाहरण है। यह व्रत नारी शक्ति की दृढ़ता, समर्पण और त्याग का प्रतीक है। सुहागिन महिलाओं के लिए यह व्रत अखंड सौभाग्य का वरदान लाता है और अविवाहित कन्याओं को योग्य जीवनसाथी प्राप्त करने का आशीर्वाद देता है।

वर्ष 2025 में 28 अगस्त को आने वाला यह पावन पर्व हर घर में खुशियों, प्रेम और समृद्धि का संदेश लेकर आएगा। महिलाएं इस दिन पूरे मन, श्रद्धा और विश्वास के साथ व्रत करके अपने जीवन को मंगलमय बना सकती हैं।

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