भारत में व्रत और त्योहार केवल धार्मिक कर्मकांड भर नहीं हैं, बल्कि यह आस्था और प्रेम का प्रतीक हैं। इन्हीं में से एक है हरतालिका तीज, जो सुहागिन महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिए अत्यंत पवित्र पर्व माना जाता है। साल 2025 में यह व्रत 28 अगस्त, गुरुवार को मनाया जाएगा।
हरतालिका तीज का महत्व
हरतालिका तीज का व्रत मुख्य रूप से पति की लंबी आयु, अखंड सौभाग्य और सुख-समृद्धि की कामना से रखा जाता है। कुंवारी कन्याएं यह व्रत अच्छे पति की प्राप्ति के लिए करती हैं। इसे करने से स्त्रियों को आत्मबल और मनोबल दोनों की प्राप्ति होती है।
हरतालिका तीज व्रत की कथा (शिव-पार्वती प्रेमगाथा)
कथा का प्रारंभ
पुराणों के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी सहेलियों ने उन्हें तपस्या से रोकने की कोशिश की, लेकिन पार्वती माता अपने संकल्प पर अडिग रहीं।
कथा का रहस्य
जब उनकी सखियाँ उन्हें जबरदस्ती जंगल में ले गईं और तप करने से रोकना चाहा, तो वही दिन हरतालिका तीज कहलाया। “हरि” यानी हर ले जाना और “तालिका” यानी सखी – इसीलिए इसे हरतालिका कहा जाता है।
कथा का फल
आखिरकार, माता पार्वती की तपस्या और भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया। तभी से यह व्रत वैवाहिक सुख और अटूट प्रेम का प्रतीक माना जाता है।
हरतालिका तीज 2025 का शुभ मुहूर्त
तृतीया तिथि आरंभ: 27 अगस्त 2025, रात 11:50 बजे
तृतीया तिथि समाप्त: 29 अगस्त 2025, सुबह 01:45 बजे
पूजा का श्रेष्ठ समय: 28 अगस्त 2025, प्रातःकाल और संध्या
पूजा विधि
प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
मिट्टी की प्रतिमा से भगवान शिव और माता पार्वती की स्थापना करें।
रोली, चंदन, पुष्प, सुहाग सामग्री, फल और मिठाई चढ़ाएं।
व्रत कथा का वाचन करें।
रातभर जागरन करें और भजन-कीर्तन गाएं।
अगली सुबह व्रत का पारण करें।
हरतालिका तीज और महिलाओं की कहानियां
कहानी 1 – आस्था से पूर्ण हुई मनोकामना
उत्तर प्रदेश की एक महिला ने बताया कि उसने कई वर्षों तक हरतालिका तीज का व्रत किया और उसकी संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी हुई। वह कहती हैं कि यह व्रत सिर्फ परंपरा नहीं बल्कि जीवन बदलने वाला अनुभव है।
कहानी 2 – कुंवारी कन्या की श्रद्धा
राजस्थान की एक कन्या ने इस व्रत को सच्चे मन से किया और विवाह के बाद पाया कि उसका पति वैसा ही है जैसा उसने कल्पना की थी। इससे साबित होता है कि श्रद्धा से किया गया व्रत जरूर फलदायी होता है।
हरतालिका तीज से जुड़ी परंपराएं
महिलाएं इस दिन हरे वस्त्र और श्रृंगार करती हैं।
वे हाथों में मेंहदी रचाती हैं।
सहेलियां और महिलाएं मिलकर झूला झूलती हैं और गीत गाती हैं।
मंदिरों और घरों में शिव-पार्वती की पूजा और भजन-कीर्तन होता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से व्रत का महत्व
सावन और भाद्रपद के मौसम में यह व्रत शरीर को डिटॉक्स करता है। व्रत रखने से पाचन तंत्र मजबूत होता है और शरीर हल्का महसूस करता है। साथ ही, मानसिक शांति और आत्मविश्वास भी बढ़ता है।
पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य का व्रत
हरतालिका तीज केवल एक व्रत नहीं, बल्कि प्रेम, विश्वास और समर्पण का पर्व है। यह व्रत महिलाओं को आंतरिक शक्ति, आध्यात्मिक बल और सौभाग्य प्रदान करता है। 28 अगस्त 2025 को हर महिला और कन्या श्रद्धा-भक्ति के साथ इस व्रत को करेगी और भगवान शिव-पार्वती से अपने परिवार के सुखमय जीवन की प्रार्थना करेगी।