भगवान श्री कृष्ण के भक्तों के लिए जन्माष्टमी का पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण और विशेष होता है। यह पावन त्योहार हर वर्ष भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान विष्णु के आठवें अवतार, श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है।
इस वर्ष जन्माष्टमी की तिथि को लेकर भक्तों में किसी प्रकार का संशय नहीं है। स्मार्त और वैष्णव, दोनों ही संप्रदाय के अनुयायी एक ही दिन यह महापर्व मनाएंगे। आइए जानते हैं इस वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी की सही तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त और इस पर्व का आध्यात्मिक महत्व।
कृष्ण जन्माष्टमी की सही तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत शुक्रवार की रात्रि से हो रही है। इस तिथि का समापन शनिवार की रात्रि में होगा। हिंदू धर्म में सूर्योदय के साथ आरंभ होने वाली तिथि (उदया तिथि) को विशेष महत्व दिया जाता है, इसलिए इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत, पूजन और उत्सव शनिवार के दिन ही मनाया जाएगा।
जन्माष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त
शास्त्रों के अनुसार, भगवान कृष्ण का प्राकट्य मध्यरात्रि में हुआ था, इसीलिए जन्माष्टमी की मुख्य पूजा और जन्मोत्सव का विधान निशिता काल, यानी आधी रात के समय में है।
पूजा का उत्तम समय: इस वर्ष पूजन के लिए शुभ मुहूर्त शनिवार की मध्यरात्रि में रहेगा।
मध्यरात्रि का क्षण: मध्यरात्रि के इसी शुभ काल में भक्त अपने आराध्य लड्डू गोपाल का अभिषेक, श्रृंगार और जन्मोत्सव मना सकते हैं।
व्रत पारण का समय
जन्माष्टमी व्रत का पारण (व्रत खोलने की प्रक्रिया) अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के समाप्त होने के उपरांत करने का विधान है। जो भक्त मध्यरात्रि की पूजा के बाद ही पारण करना चाहते हैं, वे पूजन संपन्न होने के बाद कर सकते हैं। वहीं, जो भक्त अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण करने की परंपरा का पालन करते हैं, वे रविवार को प्रात:काल सूर्योदय के बाद व्रत खोल सकते हैं।
जन्माष्टमी पर शुभ संयोग
इस वर्ष जन्माष्टमी का पर्व और भी विशेष होने वाला है क्योंकि इस दिन कई शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। इन शुभ संयोगों की उपस्थिति इस दिन के महत्व को कई गुना बढ़ा रही है और इस समय की गई पूजा को और भी अधिक फलदायी बना रही है।
पूजा का महत्व
जन्माष्टमी का व्रत रखना और विधि-विधान से भगवान कृष्ण की पूजा करना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से व्रत और पूजन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। उन्हें संतान सुख, दीर्घायु और जीवन में समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। भगवान कृष्ण की पूजा जीवन में आनंद, प्रेम और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।
इस प्रकार, भक्तगण इन शुभ मुहूर्तों का ध्यान रखकर भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना कर सकते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर अपने जीवन को धन्य बना सकते हैं।