बाढ़ का कहर मुजफ्फरपुर में कोसी नदी के उफान से हालात गंभीर

दिनांक: 03 सितंबर 2025

बाढ़ का कहर मुजफ्फरपुर में कोसी नदी के उफान से हालात गंभीर

बिहार का मुजफ्फरपुर जिला एक बार फिर प्रकृति के प्रकोप का शिकार बन गया है। कोसी नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि ने जिले के कई हिस्सों में तबाही मचा दी है। इस प्राकृतिक आपदा ने 80 से अधिक घरों को बहा दिया है और दर्जनों गांवों का सड़क संपर्क पूरी तरह ठप हो गया है। बाढ़ ने न केवल लोगों के घरों को नष्ट किया है बल्कि उनकी आजीविका और दैनिक जीवन को भी प्रभावित किया है। प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीमें राहत कार्यों में जुटी हैं लेकिन हालात की गंभीरता ने सभी के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। यह लेख मुजफ्फरपुर में बाढ़ के कारण उत्पन्न संकट इसकी वजहों और राहत कार्यों पर विस्तार से चर्चा करता है।

कोसी नदी: बिहार का शोक

कोसी नदी को बिहार का शोक कहा जाता है और यह नाम इसके बार-बार मार्ग बदलने और हर साल बाढ़ लाने की प्रवृत्ति के कारण पड़ा है। यह नदी हिमालय से निकलती है और नेपाल के रास्ते बिहार में प्रवेश करती है। कोसी अपने साथ भारी मात्रा में गाद लाती है जो इसके तल को ऊंचा करती है और बाढ़ का खतरा बढ़ाती है। हाल के दिनों में नेपाल में हुई भारी बारिश और कोसी बैराज से छोड़े गए पानी ने नदी के जलस्तर को खतरनाक स्तर तक बढ़ा दिया है। मुजफ्फरपुर के औराई और कटरा प्रखंड सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं जहां बागमती और कोसी नदी का पानी गांवों में घुस गया है।

कोसी नदी ने पिछले 250 वर्षों में लगभग 120 किलोमीटर तक अपना रास्ता बदला है जिसके कारण यह हर साल नए क्षेत्रों में तबाही मचाती है। इस बार भी नदी के उफान ने मुजफ्फरपुर के कई गांवों को जलमग्न कर दिया है। खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद हो गई हैं और लोगों को अपने घर छोड़कर ऊंचे स्थानों पर शरण लेनी पड़ रही है।

बाढ़ का प्रभाव: घर और सड़कें जलमग्न

मुजफ्फरपुर में बाढ़ ने भयावह रूप ले लिया है। जिले के औराई कटरा और मुरौल प्रखंडों में 80 से अधिक घर पूरी तरह बह गए हैं। कई गांव जैसे भवानीपुर बकुआ और महपतिया डारह पानी में डूब चुके हैं। सड़कों पर पानी का तेज बहाव होने के कारण इन गांवों का जिला मुख्यालय और अन्य क्षेत्रों से संपर्क टूट गया है। ग्रामीणों को नावों के सहारे सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है लेकिन भारी बारिश और तेज बहाव ने बचाव कार्यों को जटिल बना दिया है।

बाढ़ ने न केवल घरों को नष्ट किया है बल्कि खेतों में खड़ी धान और अन्य फसलों को भी बर्बाद कर दिया है। पशुओं के लिए चारे की कमी हो गई है और कई मवेशी बाढ़ के पानी में बह गए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह की बाढ़ का कहर उन्होंने कई सालों बाद देखा है जो 2008 की विनाशकारी बाढ़ की याद दिलाता है।

प्रशासन और राहत कार्य

बिहार सरकार और जिला प्रशासन ने बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए युद्धस्तर पर राहत कार्य शुरू किए हैं। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की टीमें प्रभावित क्षेत्रों में तैनात हैं। करीब 200 नावें राहत और बचाव कार्यों के लिए लगाई गई हैं। भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टरों के जरिए खाद्य पैकेट और अन्य राहत सामग्री वितरित की जा रही है। जिला प्रशासन ने प्रभावित लोगों के लिए अस्थायी राहत शिविर स्थापित किए हैं जहां भोजन पानी और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।

मुजफ्फरपुर के जिला मजिस्ट्रेट ने सभी प्रभावित क्षेत्रों में स्थिति की निगरानी के लिए विशेष टीमें गठित की हैं। उन्होंने लोगों से ऊंचे स्थानों पर जाने और नदियों के किनारे न रहने की अपील की है। इसके साथ ही प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति और पेयजल की व्यवस्था को प्राथमिकता दी है ताकि लोग अतिरिक्त समस्याओं से न जूझें।

बाढ़ की वजह: नेपाल से पानी और तटबंधों की स्थिति

मुजफ्फरपुर में बाढ़ की मुख्य वजह नेपाल में हुई भारी बारिश और कोसी बैराज से छोड़ा गया पानी है। नेपाल के तराई क्षेत्रों में लगातार बारिश के कारण कोसी और गंडक जैसी नदियों का जलस्तर बढ़ गया है। कोसी बैराज से हाल ही में रिकॉर्ड मात्रा में पानी छोड़ा गया जिसने स्थिति को और गंभीर बना दिया। इसके अलावा तटबंधों की खराब स्थिति ने भी बाढ़ के प्रभाव को बढ़ाया है। कई जगहों पर तटबंध टूट गए हैं जिसके कारण पानी गांवों और खेतों में घुस गया है।

जल संसाधन विभाग ने तटबंधों की मरम्मत के लिए तत्काल कदम उठाए हैं लेकिन तेज बहाव और बारिश ने इन प्रयासों को मुश्किल बना दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोसी नदी में गाद का जमा होना भी एक बड़ी समस्या है। गाद के कारण नदी का तल ऊंचा हो जाता है जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ता है। इस समस्या के समाधान के लिए दीर्घकालिक उपाय जैसे गाद प्रबंधन और जल निकासी चैनलों की जरूरत है।

स्थानीय लोगों की पीड़ा

बाढ़ ने मुजफ्फरपुर के स्थानीय लोगों के जीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। कई परिवार अपने घर खो चुके हैं और उन्हें अस्थायी शिविरों में रहने को मजबूर होना पड़ रहा है। बच्चों की शिक्षा प्रभावित हुई है क्योंकि स्कूल जलमग्न हो गए हैं। स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच भी सीमित हो गई है जिसके कारण बीमार लोगों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि बाढ़ ने उनकी आजीविका को पूरी तरह नष्ट कर दिया है। किसानों की फसलें बर्बाद हो गई हैं और उनके पास अगले सीजन के लिए बीज खरीदने के लिए भी पैसे नहीं हैं। कई लोगों ने अपनी जमा पूंजी खो दी है और वे अब सरकार की सहायता के भरोसे हैं। इस स्थिति ने न केवल आर्थिक बल्कि मानसिक तनाव को भी बढ़ाया है।

दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता

मुजफ्फरपुर में बार-बार आने वाली बाढ़ की समस्या को देखते हुए दीर्घकालिक समाधानों की जरूरत है। कोसी नदी के गाद प्रबंधन के लिए विशेष परियोजनाएं शुरू की जानी चाहिए। इसके साथ ही तटबंधों को मजबूत करने और नियमित रखरखाव की आवश्यकता है। बाढ़ पूर्वानुमान और चेतावनी प्रणाली को और प्रभावी बनाया जाना चाहिए ताकि लोगों को समय रहते सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा सके।

इसके अलावा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्वास और आजीविका के लिए विशेष योजनाएं बनाई जानी चाहिए। किसानों को फसल बीमा और आर्थिक सहायता प्रदान की जानी चाहिए ताकि वे इस तरह की आपदाओं से उबर सकें। स्थानीय लोगों को बाढ़ प्रबंधन और आपदा में प्रशिक्षित करने की भी जरूरत है ताकि वे ऐसी परिस्थितियों में बेहतर ढंग से सामना कर सकें।

बाढ़ का कहर मुजफ्फरपुर में

मुजफ्फरपुर में कोसी नदी के उफान ने एक बार फिर बिहार के इस हिस्से को संकट में डाल दिया है। बाढ़ ने न केवल घरों और सड़कों को नष्ट किया है बल्कि लोगों की आजीविका और उम्मीदों को भी चोट पहुंचाई है। प्रशासन के राहत कार्य सराहनीय हैं लेकिन स्थिति की गंभीरता को देखते हुए और अधिक प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। बाढ़ की इस त्रासदी से निपटने के लिए तत्काल राहत के साथ-साथ दीर्घकालिक उपायों पर ध्यान देना होगा। यदि समय रहते सही कदम उठाए गए तो भविष्य में ऐसी आपदाओं के प्रभाव को कम किया जा सकता है और मुजफ्फरपुर के लोग फिर से सामान्य जीवन जी सकेंगे।

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